Nyay Manch न्याय मंच
समानता का अधिकार
महिलाओं के द्वारा संचालित एक ऐसा मंच है जो सभी नागरिकों की समानता की बात करता है। न्याय मंच का विश्वास है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता सभी व्यक्तियों में होनी चाहिए। किसी के लिए भी उसके जाति, धर्म, शिक्षा, जन्मस्थान या उसके लिंग को लेकर कोई पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए।
यदि किसी को समानता से वंचित किया जाता है तो यह उसके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार जो अनुच्छेद 21 में दिया है उसका खंडन है। हर व्यक्ति को हर प्रकार से समान होना और स्वतंत्र होना उसके जीवन के अधिकार का अंश है।
समानता की जगह असमानता
आजकल समानता के नाम पर कानून में असमानता फैली हुई है। अनुच्छेद 14 के नाम पर जिसकी जो मर्जी हो वैसा समानता का विचार विकसित कर लेता है। आरक्षण का मूल विचार किसी वर्ग की सामाजिक आर्थिक कमजोरियों को दूर करना होता है। परन्तु आजकल की समानता का मुख्य आधार एक जेडर द्वारा दूसरे जेंडर को गुलाम बनाने का काम होता है।
इसमें बहुत आय भी होती है। महिलाओं के पक्ष में जरा कुछ बोलो और आपको धन, सुविधा, सहायता देने वालों का ताँता लग जाता है। इससे पुरुष पक्ष की बहुत हानि हुई है। कोई भी एक जेंडर के नाम की शिकायत यदि कोई महिला कर देती है तो उस पुरुष का जीवन तबाह कर दिया जाता है। ना जाँच, ना तफ्तीश और ना कोई सुनवाई। सीधा उसका दोष बता दिया जाता है।
बहुत ऐसे संगठन आ गए हैं जिन्होंने इस काम को रोजी रोटी के लिए अपना लिया है। लेकिन इससे पुरुष वर्ग का बहुत अहित हुआ है। उनका समानता का अधिकार खत्म हो गया है। ऐसा लगता है कि पुरुष रूप में जन्म उनका सबसे बड़ा पाप हो।
Nyay Manch न्याय मंच का विश्वास
भारत के सब नागरिक समान हैं। उनके बीच भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। ना जेंडर के आधार पर ना धर्म जाति के आधार पर और ना भाषा या क्षेत्र के आधार पर। यही न्याय मंच का विश्वास है। हम सबकी समानता चाहते हैं।
यदि कोई भेदभाव कहीं भी धर्म, जाति, जेडर, भाषा या नस्ल के आधार पर किया जाएगा तो न्याय मंच उसका विरोध करेगा और पीड़ित पक्ष के लिए कानून की लड़ाई लड़ेगा। हम लोग पीड़ित को सब सहायता उपलब्ध कराएँगे।
न्याय मंच
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When you are dragged in a Court Case not because of your fault but because someone is allowed to misuse a law.
Victim of a Bad Judgment: When you are indicted not by a Judgment but by the poor quality of Judgment delivered.
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When you are indicted not by a Judgment but by the poor quality of the Judgment. Judge’s ignorance also contributes.
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