In Logon ki galati kya thi
In Logon ki galati kya thi? यह सवाल हरेक व्यक्ति के मन में उठता है। इन्हें जेल में क्यों बंद रखा गया? जेल में किसी को भी गलती करने पर ही रखा जाता है। उसे उसके अपराध का दण्ड दिया जाता है। लेकिन इन लोगों को जेल से रिहा करते हुए कोर्ट ने कहा है कि इनकी गलती नहीं है इन्हें छोड़ दिया जाए।
अनेक व्यक्ति
ऐसे अनेक व्यक्ति हैं जिन्हें इस तरह बिना अपराध के जेल में रखा गया है। यह पहला व्यक्ति तो विष्णु तिवारी ही है। एक अन्य व्यक्ति का प्रमुख नाम तरुण तेजपाल है। उसकी बात किसी ने नहीं सुनी। आठ वर्षों तक भागता रहा। इन दो व्यक्तियों के अलावा और भी नाम हैं जिन्हें लोग प्रमुखता से नहीं जानते हैं। लेकिन अदालतें ऐसे लोगों को लगातार बरी कर रही हैं।
गलत कानून
एक झूठा आरोप तो इन लोगों को जेल में बंद रखने का जिम्मेदार रहा ही है गलत कानून और गलत Jurisprudence भी इसका जिम्मेदार रहा है। भारत में अनेक विद्वान कहने लगे हैं कि कानून तो नारों की बाँदी हो गई है जोकि गलत है। कानून की सर्वोच्चता का कोई अर्थ नहीं है। पश्चिमी ज्यूरिस्ट्स की जुगाली ही भारतीय ज्यूरिस्ट्स का विचार शौर्य रह गया है। वे लोग सही गलत जो भी कह दें हमारी गेहुँआ रंगत उसे मान लेने को हमें उकसाती रहती है।
यह गलत कानून है कि जेंडर के आधार एक जेंडर की हर बात सच मानी जाए और दूसरे जेंडर की हर बात झूठ मानी जाए। यह सब कानून, संविधान और Jurisprudence के नाम पर हो रहा है।
नई वर्ण व्यवस्था
भारत में एक नई वर्ण व्यवस्था विकसित की जा रही है। एक पुरानी वर्ण व्यवस्था ने भारतीय समाज को हजारों सालों तक खोखला किया। आज उस पुरानी वर्ण व्यवस्था की प्रतिक्रिया में एक नई वर्ण व्यवस्था यहाँ बनाई जा रही है। लोगों को उन आधारों पर विभाजित किया जा रहा है जो उन्हें उनके जन्म के कारण मिले हैं और जिनके निर्धारण में उनका कोई योगदान नहीं रहा है जैसे जेंडर बेस्ड कानून। आज के समय में एक जेडर को दूसरे के ऊपर थोपना नया फैशन बन गया है।
इसमें परिवर्तन की आवश्यकता है।